Online Divorce in Bazpur, Kashipur, Jaspur, Gadarpur, Rudrapur, Kichha, Sitarganj, Nanakmatta and Khatima
Online Divorce in Bazpur, Kashipur, Jaspur, Gadarpur, Rudrapur, Kichha, Sitarganj, Nanakmatta and Khatima in Udham Singh Nagar district and Nainital in Uttarakhand under the guidance of reputed and highly qualified advocates/lawyers to assist you in getting bail from session court, district court and high court (Nainital) of Uttarakhand.
विवाह विच्छेद (Divorce)
पति या पत्नी दोनों मे से कोई भी विवाह विच्छेद के लिए कोर्ट मे अधिवक्ता के माध्यम से आवेदन कर सकते है Hindu Marriage Act. 1955 की धारा 13 के अनुसार विवाह विच्छेद 2 तरीके से हो सकता है या तो पति या पत्नी के आपसी सहमति से तलाक की अपील तभी संभव है जब पति-पत्नी सालभर से अलग-अलग रह रहे हों. पहले दोनों ही पक्षों को कोर्ट में याचिका दायर करनी होती है. दूसरे चरण में दोनों पक्षों के अलग-अलग बयान लिए जाते हैं और दस्तखत की औपचारिकता होती है. तीसरे चरण में कोर्ट दोनों को 6 महीने का वक्त देता है ताकि वे अपने फैसले को लेकर दोबारा सोच सकें. कई बार इसी दौरान मेल हो जाता है और घर दोबारा बस जाते हैं. छह महीने के बाद दोनों पक्षों को फिर से कोर्ट में बुलाया जाता है. इसी दौरान फैसला बदल जाए तो अलग तरह की औपचारिकताएं होती हैं. आखिरी चरण में कोर्ट अपना फैसला सुनाती है और रिश्ते के खात्मे पर कानूनी मुहर लग जाती है, Hindu Marriage act 1955 अधिनियम की धारा 13 (1) के तहत कोई एक पक्ष भी कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर सकता है।
13 (B) के तहत तलाक लेने की प्रकिया:
- पहला चरण: पति-पत्नी दोनों को कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी देनी होती है।
- दूसरा चरण: दूसरे चरण में कार्ट अपने समक्ष पति-पत्नी दोनों के बयान रिकॉर्ड करवाता है और दोनों पक्षों के पेपर पर हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
- तीसरा चरण: कोर्ट दोनों को आपसी सुलह करने के लिए 6 महीने का वक्त देता है. इस तरह के मामले में अदालत की कोशिश होती है कि दोनों पक्ष आपसी सहमति से मामले को सुलझा लें।
- चौथा चरण: जैसे ही आपसी सुलह के लिए दी गई मियाद पूरी होती है, कोर्ट दोनों पक्षों को अंतिम सुनवाई के लिए बुलाता है।
- पांचवां चरण: केस की अंतिम सुनवाई में कोर्ट अपना फैसला सुनाता है।
13 (1) के तहत तलाक के लिए दाखिल अर्जी में व्यभिचार, क्रूरता, परित्याग, धर्मान्तरण, मानसिक विकार, कुष्ठ, यौन रोग, सात साल तक जिंदा ना मिलना, सहवास की बहाली के आधार पर तलाक के लिए अर्जी दाखिल की जा सकती है।
ये पूरी प्रकिया कई चरणों में पूरी होती है:
- पहला चरण: इसमें सबसे पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि तलाक किस आधार पर लेना है।
- दूसरा चरण: इसके बाद जिस आधार पर तलाक लेने के लिए अर्जी दायर की जाती है, उसके लिए सबूत इकट्ठा करना होता है।
- तीसरा चरण: तीसरे चरण में सारे सबूत और दस्तावेज कोर्ट में जमा करने होते हैं।
- चौथा चरण (A): सारे कागज कोर्ट में जमा होने के बाद कोर्ट दूसरे पक्ष को न्यायालय में हाजिर होने का आदेश देता है. अगर दूसरा पक्ष कोर्ट में हाजिर नहीं होता है तब कोर्ट जमा किए गए कागजों के आधार पर कार्रवाई को आगे बढ़ाता है।
- चौथा चरण (B): अगर दूसरा पक्ष कोर्ट में हाजिर हो जाता है तब कोर्ट दोनों पक्षों की बात सुनकर मामले को आपसी सहमति से सुलझाने की कोशिश करता है. कोर्ट दोनों को कुछ वक्त ये तय करने के लिए देता है कि दोनों साथ रहना चाहते हैं या तलाक चाहते हैं।
- पांचवां चरण: तय वक्त में अगर दोनों पक्ष आपस में सुलह करने में नाकाम रहते हैं तब अर्ज़ी दायर करने वाला पक्ष दूसरे पक्ष के खिलाफ लिखित बयान के रूप में याचिका देता है. ये याचिका देने के लिए कोर्ट 30 से 90 दिनों का वक्त देता है।
- छठा चरण: लिखित बयान जमा करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोर्ट तय करता है कि आगे किस प्रकिया का पालन करना है।
- सातवां चरण: इसके बाद कोर्ट की सुनवाई की प्रक्रिया शुरू होती है और दोनों पक्षों के द्वारा जमा किए गए सबूतों और कागजों को फिर से चेक किया जाता है।
- आठवां चरण: इस चरण में दोनों पक्षों को सुनने और सारे सबूतों को देखने के बाद अदालत अपना फैसला सुनाती है. यह प्रक्रिया काफी लंबी होती है, जिसमें कई बार सालों का वक्त लग जाता है।